परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में नए सदस्य बनाने के फार्मूले में भारत को शामिल करने के लिए अमेरिका ने रास्ता साफ कर दिया है इस फार्मूले में पकिस्तान को बाहर का रास्ता दिखा दिया है
चीन की आपत्ति के बावजूद अमेरिका के इस बड़े कदम ने भारत को NSG में शामिल करने का रास्ता लगभग तय कर दिया है और एक बार फिर पकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा है
पिछले हफ्ते अमेरिकी मिडिया के हवाले से खबर थी कि NSG के पूर्व चेयरमैन राफेल मैरियानो द्वारा तैयार की गयी दो पन्नो के दस्तावेज में कहा गया कि किस तरह भारत और पाकिस्तान जैसे गैर परमाणु अप्रसार संधि वाले देश NSG का हिस्सा बन सकते है
सूत्रों की माने तो NPT में पकिस्तान के शामिल होने के मामले में भारत उसका रास्ता न रोके इसलिए मिस्टर राफेल ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमे कहा गया कि गैर एनपीटी सदस्य को इस पर सहमत होना होगा की वह ऐसे किसी गैर एनपीटी सदस्य देश के रस्ते में रूकावट नही बनेगा
गैरतलब है कि 48 सदस्यीय NSG का गठन 1975 में भारत द्वारा किये गये पहले परमाणु परीक्षण के बाद किया गया था भारत उस समय कनाडा और अमेरिका से परमाणु तकनीकी से बने प्लूटोनियम का प्रयोग करते हुए इस परिक्षण को किया था जिसके बाद पूरी दुनिया हिल गयी थी और NSG का इस लिए ही किया गया था की भविष्य में इस तरह के दुरुप्रयोग को रोकने के लिए किया गया था
किसी भी देश को NSG की सदयस्ता प्राप्त करने के लिए एनपीटी पर हस्ताक्षर करना एक शर्त है