30 सितंबर 2025 को Maha Ashtami के अवसर पर RBI ने बैंक बंदी की घोषणा की; त्रिपुरा, असम और पश्चिम बंगाल में चार दिन की निरंतर बंदी, जबकि ऑनलाइन सेवाएं चालू रही।
Maha Ashtami क्या है?
हर साल शरद ऋतु में जब अंधकार थोड़ा देर तक रहता है, तो माँ दुर्गा की शक्ति का जश्न मनाने के लिए Maha Ashtami आती है। यह अष्टमी शनि (दुर्गा पूजन) का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, क्योंकि इस रात माँ दुर्गा ने महिषासुर को मार दिया था। इस कारण लोग इसे ‘शक्तिपूर्ण व्रत’ कहते हैं और घर-घर में धूप, दीप और काव्य गा कर मनाते हैं।
Maha Ashtami की कथा
कथा के अनुसार, दुष्ट महिषासुर ने देवताओं को बहुत परेशान किया था। उसने वरदान के साथ बहुत बड़ा बल प्राप्त किया था, जिससे वह सर्वहारा बन गया। माँ दुर्गा ने अपने दस हाथों से उसे उसी अष्टमी में हराया। इस विजय को याद करते हुए लोग अष्टमी की रात को अन्नकूट, अर्द्धरात्रि व्रत और मंत्र जप करते हैं।
Maha Ashtami पर कैसे करें पूजा
सबसे पहले साफ‑सुथरे कपड़े पहनें, फिर घर को साफ करें और माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को साफ पानी से पोंछें। फिर बलभंजी (बढ़िया चने) और हरा चना को रात भर भीगे रखें, सुबह के समय इन्हें दूध और गुड़ के साथ ऐवेज़न (भोग) बनाकर माँ को अर्पित करें। अगर आप व्रत रख रहे हैं, तो हल्का फल, नारियल पानी और अंडा (शुद्ध) खा सकते हैं; माँ को प्रसन्न करने के लिए गाय का घी, शशभ (सौंदर्य) वस्तुएँ और फूल भी बहुत मायने रखते हैं।
पूजा के दौरान ‘ॐ दुं दुं दुं’ का जप करना फायदेमंद होता है, यह शक्ति को बढ़ाता है और मन को शांति देता है। कुछ लोग धूप और दीप को भी सात बार घुमाते हैं, फिर दो बार ‘आँखें’ (सजावट) लगाते हैं। अंत में एक छोटा प्रार्थना पाठ पढ़ें और सभी को मिठाई बाँटें।
अगर आपके पास समय नहीं है तो आप ऑनलाइन लाइव पुजारी की मदद ले सकते हैं। आज‑कल कई धार्मिक ऐप्स वॉरिष्ठा परानिर्देश देते हैं, जिससे घर बैठे ही दुर्गा पूजा पूरी हो जाती है। बस एक शांत जगह बनाकर इन निर्देशों को फॉलो करें, और आप भी इस महा अष्टमी को यादगार बना सकते हैं।
समाप्ति में, विश्वास रखें कि माँ दुर्गा का आशीर्वाद आपके जीवन में सुख‑समृद्धि लाएगा। आप भी इस पावन रात को अपने परिवार के साथ गाते‑गाते, हँसते‑हँसते और मिठाइयों का आनंद लेते हुए मनाएँ। यही है Maha Ashtami का असली जादू—दिल से मनाया गया उत्सव।