धरती के भगवान कहे जाने वाले डाक्टर पिछले कुछ दिनो से हड़ताल पे हैं।

धरती के भगवान कहे जाने वाले डाक्टर पिछले कुछ दिनो से हड़ताल पे हैं। लोग इलाज के बगैर परेशान हैं।

लोग मर रहे हैं दर-दर भटकने को मजबूर है पर इन डाक्टरों पे इसका कोई असर नही है। अपने आत्मसम्मान के लिए , अपनी प्रतिस्ठा के लिए दूसरो की जान लेना कहाँ तक जायज है। क्या हमारे अंदर की मानवता समाप्त हो चुकी है? क्या हम इतने निर्दयी हो गए हैं कि दूसरों की जान की हमारे लिए कोई कीमत नही है? क्या जिस समाज मे हम रहते हैं उसके प्रति हमारी कोई जिम्मेदारी नही है और यदि ऐसा है  तो इससे मानवता शर्मशार होती है और कुछ नही। विरोध का तरीका इतना उग्र और गैर जिम्मेदरना नही होना चाहिए कि वो दूसरों की जान ले ले।

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